ईएसबीआई क्या है? sampurn janakari jante hai !2022

 


ईएसबीआई क्या है?


ईसबीआई अर्थात, ई मतलब एम्प्लॉय (नौकरी करने वाला,एस मतलब सेल्फ एम्प्लॉय (खुद का रोजगार), बी मतलब बिजनेस ऑनर(व्यापार के मालिक),

आई मतलब इन्वेस्टर निवेशक)।


ESBI एक ऐसा मौलिक सिस्टम है जिसमें हम सीखते है की गुणवत्ता पूर्ण कार्य कर के हम अत्यधिक वित्त अर्जित किया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कठिन कर्म से अच्छा है गुणवत्ता पूर्ण कार्य करना। मतलब हार्ड वर्क से अच्छा है स्मार्ट वर्क।


राबर्ट कियोसकी के अनुसार दुनिया में चार तरह के कार्य पद्धति है। इसमें यह बताया गया है कि आप किस प्रकार के कार्य करके कम समय में अत्यधिक धन एकत्रित कर सकते है।




ये चार नकदी प्रवाह चतुर्थांश इस प्रकार हैं:


Employee (नौकरी करने वाले)

Self employed (स्व रोजगार )

Business Owner ( बड़े व्यापार के मालिक)

Investor (निवेशक)

आप इसे निचे image में देखकर समझ सकते हैं:  


 ये चार नकदी प्रवाह चतुर्थांश का कार्य पद्धति 


  रॉबर्ट कियोसाकी के अनुसार इन चार वर्ग के लोगों के काम करने का तरीका अलग-अलग है और इन्ही तरीकों की वजह से बिजनेस के मालिक और निवेशक लगातार अमीर और बाकि लोग गरीब होते जाते हैं।  


 नौकरी करने वाले


नौकरी अर्थात किसी संस्थान या व्यक्ति विशेष के लिए कार्य करना। ऐसे लोग अपना कार्य, समय और गुण को बेच कर धन एकत्रित करते है। ये लोग एक्टिव इनकम के लिए कार्य करते है। अर्थात जब तक कार्य तब तक पैसा, कार्य बंद पैसा बंद।


इनके पास कार्य के पश्चात अपने लिए समय का अभाव होता है इनको हफ्ते में मात्र दो या एक दिन की अवकाश होता है। अर्थात नौकरी जब तक करेंगे अपने लिए केवल एक या दो दिनों का समय होता है।


ऐसे लोगों के वित्तीय प्लानिग महीने भर के लिए होता अर्थात ये जो भी बजट का planig करेंगे उसकी समय अवधि मंथली होता है।

ईएसबीआई क्या है?



स्व रोजगार करने वाले लोग


इस तरह के कार्य पद्धति में वह लोग आते है जो खुद के लिए कार्य करते हैं वह कार्य छोटे छोटे होते है। 


जैसे दुकानदार, डॉक्टर, वकील, ट्यूशन अध्यापक इत्यादि, इस पद्धति में कार्य करने वाले लोग का income भी एक्टिव इनकम में आता है अर्थात जब तक काम तबतक अर्निग।

इनका वित्तय प्लानिंग एक वर्ष का होता अर्थात ये एक वर्ष का अनुमान लगा ते है की क्या करना है एक वर्ष में।


बड़े व्यापार के मालिक


इस पद्धति में वे व्यक्ति आते है जिनके पास कई तरह के संस्थान होते है। इनके लिए बहुत से लोग कार्य करते है इन्हे खुद कार्य नहीं कारना पड़ता बाल्की ये केवल दिसा निर्देश देते है। इनके पास एक सिस्टम होता है, जो इनके लिए कार्य करता है इनके पास आईडिया होता है जो इनके बिजनेस में वृद्धि हेतु सहायक होता है ।


इनका इनकम पैसिव इनकम में आता है अर्थात ये कार्य पर हो या न हो इनकी इनकम होती रहती है। अर्थात इनके लिए इनका संस्थान या सिस्टम अर्निग करता है।


इस तरह के लोगों की सोच पांच या दस साल बाद तक का होता है अर्थात ये पांच या दस वर्ष का प्लानिंग ले कर चलते हैं।

ये बिज़नेस के मालिक होते हैं।

इन्हें स्वयम काम नही करना पड़ता इनके लिए कई लोग काम करते हैं।

इनके पास एक सिस्टम होता है जो इनके लिए पैसे कमा कर देता है।


निवेशक 


इंवेस्टर या निवेशक वो होते है जो अपने धन को विभिन्न प्रकार के संस्थान, वित्तीय श्रोत या आगामी प्रोजेक्ट जो आने वाला होता है में निवेश कर के ब्याज के रूप मे धन अर्जित करते है।


इन तरह के लोगों के पास पैसा तो होता है पर खुद का संस्थान या सिस्टम नहीं होता ये कार्यरत संस्थान या सिस्टम में निवेश कर के धन में वृद्धि करते है। अर्थात ये कोई फिजिकल कार्य नहीं करते।


इनका वित्तीय प्लानिंग भी लम्बी अवधि हेतु होती है।


भावार्थ


कहने का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति एक्टिव इनकम के लिए कार्य करते है उनके पास पर्याप्त संसाधन और समय का अभाव होता है l कारण है की इस प्रकार के लोग अकेले कार्य करते है इनके पास टीम नही होती सिस्टम नहीं होता है।

अतः परिणाम भी संकुचित मात्रा में प्राप्त होते है जबकि निवेश या व्यापारी घराने के लिए टीम या सिस्टम कार्य करता अतः परिणाम भी प्रचुर मात्रा में आता है


एक्टिव इनकम के लिए कार्य आवश्य करना चाहिए परंतु बचे हुए पैसे और समय का उपयोग पैसिव इनकम के लिए भी देना चाहिए 



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धन्यवाद 


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