रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है? aeeye jante hai #1

आरबीआई क्या है 


सभी तरह के फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली संस्थान को निर्देशित और विधी संगत चलाने के लिए सरकार ने एक रेगुलेटरी संस्थान की व्यवस्था किया हुवा है। जन्हा से उस विषय के नियम और कानून पारित होते हैं। जैसे लाइफ इंश्योरेंस हेतु रेगुलेटर संस्था है irdia, पेंशन फंड मैनेजर हेतु रेगुलेटर संस्था है pfrda, शेयर बाजार के रेगुलेट करने वाली संस्थान है सेबी। उसी तरह बैंक को रेगूलेट करने हेतु संस्था है RBI अर्थात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया। 

      



 रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है? 


 आरबीआई ने पहली बार वित्त वर्ष 2011-12 में वार्षिक मॉनेटरी पॉलिसी बैठक में एमएसएफ का वर्णन किया था और यह निर्णय 9 मई 2011 को लागू हुआ. आपने रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर जैसे शब्द जरूर सुने होंगे. पर क्या आप इन शब्दों के मतलब जानते हैं. आज हम आपको रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट का अर्थ और बताते हैं. रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की आर्थिक समीक्षा नीतियों से जुड़े इन टेकनिकल वर्ड्स के बारे में बताते है। 

 रेपो रेट क्या होता है? 


 बैंक अपने व्यापार चलाने हेतु आरबीआई से धन उधार लेते है और जमा भी करते हैं रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई बैंक को कर्ज देता है। आरबीआई द्वारा दिए गए ब्याज दर से ही बैंक ग्राहकों को ऋण उसी ब्याज दर के तुलनात्मक दर पर देता है । रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज की दर कम हो जाएंगे. जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह।

 रिवर्स रेपो रेट क्या होता है 


 जैसे बैंक जब आरबीआई से उधार लेते हैं उसी तरह बैंक आरबीआई में अपना धन एकत्रित भी करते है अतः जमा करने पर आरबीआई द्वारा दिए जाने वाले ब्याज दर को रिवर्स रेपो रेट कहते है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता । क्यों आरबी रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को कम या ज्यादा करता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमे उसके पास जमा ना करें। उसी तरह महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई द्वारा रेपो रेट को कम या ज्यादा किया जाता है। 

रेपो रेट


 सीआरआर क्या होता है 


 बैंको की विश्सनीयता और स्थिरता को बनाए रखने हेतु भारत सरकार द्वारा बैंकिंग नियम लागू किया गया है जिसके अनुसार बैंकों को अपनी कुल नगदी का एक निश्चित भाग आरबीआई के पास सुरक्षित जमा करने होते है इसे ही कैश रिज़र्व रेश्यो या सीआरआर कहते हैं। 

 एसएलआर क्या है? 


 जिस ब्याज रेट पर बैंक सरकार के पास अपनी नगदी का निश्चित अमाउंट सरकार के पास सुरक्षित जमा करती है उस रेट को एसएलआर कहते है। नगदी कि लेन देन को नियांत्रित करने के लिया सरकार द्वारा इसका उपयोग किया जाता है बैंको को एक निश्चित राशि जामा करना होता है इसका उपयोग किसी इमरजेंसी लेन देन हेतु किया जाता है। आरबीआई जब ब्याज रेट में बदलाव किए वैगर नगदी कि लेन देन कम करना चाहते है तो सीआरआर में वृद्धि कर देता है इससे बैंक को लेन देन हेतु कम राशी बचती है और कैश फ्लो काम हो जाता है।

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